जिन लड़कियों की शादी होने में परेशानियां उत्पन्न हो रही हैं वह इस श्रावण मास में मंगलागौरी व्रत करें बहुत लाभ होगा l और जिन लड़कों के विवाह में विलम्ब हो रहा है वह श्रावण मास के सोमवार का व्रत करें।
मंगलागौरी व्रत और पूजन विधि,
जो लोग शादी के लिए ,संतान प्राप्ति के लिए या वैवाहिक परेशानी दूर करने के लिए रखना चाहते हैं तो नीचे दिए गए विधि विधान से पूजन करें।
सावन मास में जितने भी मंगलवार होते हैं उन्हें मंगलागौरी व्रत के लिए चुना जाता है,और इन्हीं मंगलवार को मंगलागौरी व्रत के नाम से जाना जाता है।
गौरी माता बहुत ही जल्दी प्रसन्न होने वाली देवी हैं जो भी ये व्रत करते हैं वह माता के उसकी हर मनोकामनायें पूरी करती है l
सावन मास के सोमवार में शिव जी का व्रत तो बहुत ही साधारण सा है,पूजन जैसे भी आप करते हैं वैसे ही करें , लेकिन शाम को दीपक जलाने के बाद ही फीका खाना खा सकते हैंl
लेकिन मंगलागौरी व्रत में शाम को फीका खाना बनाकर खाऐ, तो एक ही अनाज लेना है l जैसे पूरी या पराठे के साथ खीर नहीं खानी है, पराठा और दही या फिर रोटी ले सकते हैं ।
शाम का दीपक जलाने के बाद ही भोजन गृहण करें,पूरे दिन आप केवल जूस ले सकते हैं कोई फल ले सकते हैं लेकिन कुछ और नहीं खा सकते, केवल शाम को ही भोजन करना है l
मंगला गौरी पूजन की आवश्यक सामग्री :
गौरी पूजन में सुहाग के समान और सोलह वस्तुओं का बहुत महत्ता होती है।
आवश्यक सामग्री
- चौकी या लकड़ी का पट्टा जो भी उपलब्ध हो , पूजन के लिए लें।
- सफेद व लाल कपड़ा व मिटटी का कलश लेना हैl
- गेंहू व चावल
- चौ-मुखी आटे का दीपक, अगरबत्ती, धुपबत्ती, कपूर l
- सोलह तार की चार बतियाँ l
- सुधरी व पवित्र मिटटी, माँ गौरा की प्रतिमा बनाने के लिए l
- अभिषेक के लिए साफ जल, दूध, पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर का मिश्रण)।
- माता गौरा के लिए वस्त्र, कोई चुनरी भी चलेगी
- पूजा सामग्री-मौली, रोली (कुमकुम), चावल, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी, काजल, सिंदूर
- 16 तरह के फूल, या माला,16तरह के पत्ते ,16फल
- पंचमेवा, 7 तरह के अनाज जो 16की गिनती में हों
- 16 पान, 16सुपारी,16 लोंग
- 1सुहागपिटारी(जिसमेंसिंदूर,बिंदी,नथ,काजल,मेहंदी,हल्दी,कंघा,तेल,शीशा,16 चूड़ियां, बिछिया, पायल, नैलपॉलिश, लिपस्टिक, बालों की पिन, चूनरी आदि शामिल हो)
- इच्छानुसार नैवेद्य/प्रसाद
पूजन की विभिन्न वस्तुएं देवी को अर्पित की जाती हैं-
सोलह फूलों की माला, सोलह लड्डू, सोलह भिन्न प्रकार के फल, पांच प्रकार के सूखे मेवे (ड्रायफ्रूट) सोलह बार, 7 प्रकार के अनाज सोलह बार, सोलह बार जीरा, सोलह साबुत धनिये के दाने , पान के सोलह पत्ते, सोलह सुपारी, सोलह लौंग, सोलह इलायची तथा सोलह सुहाग सामग्री l
तातपर्य यही है कि आप जो भी सामग्री लें वह सोलह ही होनी चाहिए, अगर आपके पास अभी कुछ चीजें नहीं है,तो कोई बात नहीं आप जितनी भी चीजें मिलें उनसे ही पूजन करें और अगली बार पूरी सामग्री रखने की कोशिश करें।
पूजन विधि कैसे शुरू करें÷
इसमें सभी सामग्रियों की मात्रा 16 होनी चाहिए, जितनी सामग्री मिल जाऐं उतनी 16 की मात्रा में ले लीजिए ।16 बत्ती डालकर चौमुखा दीपक जलाएं पूजा के समय।
सभी सामग्रियों को पहले से ही एकत्रित कर लें।सुबह जल्दी स्नान करके हाथ में जल, पुष्प और अक्षत लेकर संकल्प लें कि मैं पूरे विधि-विधान से ये व्रत करुंगी l
सारे दिन किसी की बुराई नहीं करनी है, किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं करें, सभी बडों का सम्मान करते हुए उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
पूरे मन और विश्वास के साथ ये पूजा करें भगवान ने चाहा तो जल्दी ही आपकी सभी परेशानी खत्म हो जायेगी।
मंगला गौरी पूजा की विधि
* यह व्रत श्रावण के प्रथम मंगलवार से शुरू होता है व श्रावण के हर मंगलवार को किया जाता है। पूजा करने के पहले स्नान कर, कोरे वस्त्र पहनते हैं।
* पूर्व दिशा की तरफ मुख कर बैठें, व चौकी बड़ी लगाएं उस चौकी पर आधे में सफेद कपड़ा बिछाये व चावल की छोटी-छोटी नौ ढेरी लगाये l अब उसी चौकी पर आधे भाग में लाल कपड़ा बिछा कर 16 गेंहू की ढेरी लगाये।
* अब चौकी पर, पान के पत्ते पर थोड़े से चावल से स्वास्तिक बनाकर, उस पर गणेशजी की प्रतिमा रखें। इसी तरह, गेंहू की ढेरी अलग से लगा कर उस पर कलश रखें। उस पर 5 पान के पत्ते रखकर ऊपर नारियल रखें। और चौकी पर चौमुखी दीपक व उसमें सोलह तार वाली बत्ती लगाकर प्रज्वलित करें।
* सबसे पहले गणेशजी का विधिपूर्वक पूजन करें, वस्त्र के रूप में जनेऊ चढ़ा कर, रोली-चावल का तिलक लगाकर पूजन कर भोग लगाएं l ठीक इसी प्रकार रोली-चावल से कलश व दीपक का भी पूजन करें।
उसके बाद चावल की जो 9 ढेरी नवग्रह रूप में लगायी है तथा गेंहू की 16 ढेरी षोडषमातृका माता का स्वरूप मान विधिपूर्वक पूजन करें।
* अब एक थाली में पवित्र तथा साफ मिट्टी लेकर मां गौरा की प्रतिमा बना ले व पूरी श्रद्धा से प्रतिमा को चौकी पर रखें। अब सबसे पहले प्रतिमा को जल दूध पंचामृत से स्नानादि करा कर अभिषेक कर, वस्त्र धारण कराएं।
तत्पश्चात –
‘ कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्।
नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्..।।
– यह मंत्र बोलते हुए माता मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन किया जाता है।
* मां गौरी की रोली-चावल से पूजा कर उनका श्रंगार करें, काजल, मेहंदी, सिंदूर, लगाएं, चूड़ियां बस्त्र आदि पहनाएं
पूजन के पश्चात माता को 16 प्रकार की सभी चीजे जैसे – फूल, माला, फल, पत्ते, पान, इलायची, सुपारी, लौंग तथा पंचमेवा आदि अर्पित करें l
जैसा ऊपर बताया गया था सोलह फूल मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, मिठाई, सुहाग की सामग्री, सोलह चूडि़यां तथा मिठाई चढ़ाई जाती है।
इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि होना चाहिए। पूजन के बाद मंगला गौरी की कथा सुनी जाएगी
यहाँ पढ़े मंगलागौरी व्रत कथा ll