रुद्राक्ष का अर्थ है – रूद्र का अक्ष , कहा जाता है कि रुद्राक्ष भगवान भोलेनाथ के आँसुओ से उत्पन हुआ था l रुद्राक्ष को प्राचीनकाल से आभूषण के रूप में, सुरक्षा के लिए, ग्रह शांति के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता रहा है l
कुल मिलाकर मुख्य रूप से 17 प्रकार के रुद्राक्ष पाए जाते हैं l परन्तु 11 प्रकार के रुद्राक्ष विशेष रूप से प्रयोग में आते हैं l रुद्राक्ष के वृक्ष भारत के नार्थ-ईस्ट, नेपाल, इंडोनेशिया में प्रचुर मात्रा में पाये जाते है।
रुद्राक्ष का ग्रहो से संबंध:-
#सूर्य ग्रह के लिए एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक रहता है l जिससे सभी प्रकार के सुख, मोक्ष और उन्नति प्राप्त होती है।
#चंद्र ग्रह के लिए दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक रहता है l जिससे सभी प्रकार की कामनाओं पूर्ण होती है तथा दामपत्य जीवन मे सुख-शांति रहती है।
#मंगल ग्रह के लिए तीन मुखी अथवा ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक रहता है l जिससे सभी सांसारिक सुख भोगने और ऐश्वर्य प्राप्ति में सहायता मिलती है।
#बुध ग्रह के लिए चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक रहता हैl जिससे धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
#गुरु ग्रह के लिए 5 मुखी या 10 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक रहता है l जिससे सभी सुखों की प्राप्ति होती है साथ में कामवासना पर भी विजय प्राप्त होती है।
#शुक्र ग्रह के लिए 6 मुखी अथवा तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक रहता है जिससे सभी पापा से मुक्ति मिलती है साथ ही श्रेष्ठ संतान प्राप्त होती है।
#शनि ग्रह के लिए 7 मुखी अथवा 14 रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक रहता है l जिससे दरिद्रता दूर होती है।
# 8 मुखी रुद्राक्ष राहु ग्रह के लिए धारण करना लाभदायक होता है l जिससे दीर्घ आयु, अकाल मृत्यु से रक्षा होती है और पॉजिटिव ऊर्जा मिलती है।
# केतु ग्रह को शांत करने के लिए 9 मुखी रुद्राअक्ष पहनना करना लाभदायी रहता है l जिससे व्यक्ति अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति पा लेते है।
# 10 मुखी रुद्रा -अक्ष सुःख-समर्द्धि एवं सुंदरता प्रदान करने वाला होता है।
# 11 मुखी रुद्राक्ष सब पर जीत दिलाने वाला, ज्ञान एवं भक्ति प्रदान करने वाला होता है।
# 12 मुखी रुद्राक्ष धन में बरकत करवाता है।
# 13 मुखी रुद्राक्ष शुभ-लाभ व समृद्धि प्रदान कराने वाला होता है।
# 14 मुखी रुद्राक्ष सभी पापों से छुटकारा दिलवाने वाला होता है।
कैसे धारण करें रुद्राक्ष –
रुद्राक्ष धारण करने के लिए श्रावण मास सर्वोत्तम होता है।
सर्वप्रथम रुद्राक्ष को शुद्ध जल में गंगाजल मिलकर अभिषेक करें। तत्पश्चात् पंचामृत से अभिषेक कर पुन: शुद्ध जल से स्नान कराकर शुद्ध करें।
– उसके पश्चात् रुद्रा क्ष की पंचोपचार पूजन कर भोलेनाथ पर अर्पित कर निर्मल रूप में आप खुद पहने ।
– रुद्राक्ष बाजू , गले और हिरदय स्थान पर धारण किया जा सकता है l इसे गल में पहनना उत्तम रहेगा l
– बाजू में रुद्रा क्ष के 12 दानो , गले में 36 दानो को और छाती पर रुद्राक्ष के 108 दानो को धारण करना उत्तम होगा l
– रुद्रा क्ष का एक दाना भी पेहेन सकते हैं l पर रुद्राक्ष का यह दाना सीने तक होना चाहिए तथा लाल धागे में पहनना चाहिए l
– श्रवण मास में, सोमवार के दिन और शिवरात्री के दिन रुद्राक्ष धारण करना अति उत्तम होता है l
– रुद्राक्ष धारण करने के पहले उसे शिव जी को समर्पित अवश्य करना चाहिए l तथा उसी रुद्राक्ष माला से मंत्र जाप करना चाहिए l
– जो लोग भी रुद्राक्ष धारण करते हैं उन्हें सात्विक अवश्य रहना चाहिए l तथा आचरण को शुद्ध रखना चाहिए, अन्यथा रुद्राक्ष लाभकारी नहीं होगा ये विपरीत फल भी दे सकता है l
रुद्राक्ष कुंडली में दोष से मुक्ति हेतु लाभदायक:-
# शकट कुंडली दोष – 2 एवं 10 मुखी रुद्राक्ष सफ़ेद या पीले धागे में डालकर सोमवार या गुरुवार को धारण करें।
# केमद्रुम कुंडली दोष – 2 मुखी रुद्राक्ष सफ़ेद धागे में डालकर सोमवार को धारण करें।
#ग्रहण कुंडली दोष – सूर्य से बनने वाले ग्रहण दोष के लिए 1 मुखी, 8 या 9 मुखी रुद्राक्ष लाल धागे में डालकर रविवार को धारण करें तथा चन्द्र से बनने वाले ग्रहण योग के लिए 2 मुखी, 8 व 9 मुखी रुद्राक्ष सफ़ेद धागे में सोमवार को धारण करें।
#मंगल_दोष के लिए 3 या 11 मुखी रुद्राक्ष लाल धागे में डालकर मंगलवार के दिन धारण करें।
विशेष:-
प्रिय पाठकों रुद्रा अक्ष के अनेक लाभ होते है और इसके असर बोहोत प्रभावी होते है l यह तभी मुमकिन होता है जब सभी नियमों का पालन करके ही रुद्रा -अक्ष पहना जाये l नियमों का उल्लंघनं करके गलत तरह से रुद्रा अक्ष को पहनंने से फायदा नहीं होता, बल्कि कभी-कभी नुक्सान भी हो सकता है l
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